BABA JI KA SATSANG 17 SEPTEMBER IN HINDI
'BABA JI KA SATSANG 17 SEPTEMBER'
राधा स्वामी जी संगत जी "बाबा जी ने 17 सितंबर को Sunday वाले दिन दर में सत्संग फरमाया' 'बाबा जी सत्संग, शुरू होने के टाइम से कुछ समय पहले ही पहुंच गए थे । उस समय बारहामाह का शब्द पढ़ा जा रहा था जी। सत्संग की वाणी ली गई वह तुलसी साहब की गजल पर सत्संग फरमाया दिल का हुजरा साफ कर जाना के आने के लिए । संगत जी इस सत्संग में बाबा जी ने बड़ा ही सुंदर उदाहरण देकर सत्संग फरमाया कि एक जो परमार्थ का सच्चा खोजी होता है उसको चिंता करने की जरूरत नहीं होती उसका रास्ता दिखाने के लिए खुद कुल मालिक उस पर दया मेहर करता है। इसी तरह ही एक उदाहरण से समझाया कि एक शेख तकी नाम का सच्चा जिज्ञासु हुआ था और वह सच की तलाश में था तो उसकी बड़ी ही खुशकिस्मती
हुई कि एक दिन अचानक तुलसी साहब जहां पर आए हुए थे उसका जाना भी वहां हो गया और उसकी मुलाकात तुलसी साहब के शिष्य से हुई और शिक्षा और शेख तकी के बीच जब वार्तालाप हुआ तो उन्होंने कुछ ऐसी बातों पर गहराई से बातचीत की जो कि शेख तकी को बड़ी ही मन को भा गई और शेख तकी के मन में बड़ी ही जिज्ञासा उठी कि वह तुलसी साहब के दर्शन करें और उनसे वह भेद जाने जिसकी वह तलाश कर रहा है । जब यही शिक्षा पाने की इच्छा से वह तुलसी साहब के पास पहुंचे तो तुलसी साहब ने उन्हें समझाने में कोई कमी ना रखी । उन्होंने उसी के ही धर्म के अनुसार उदाहरण देकर समझाया तुलसी साहब ने कहा कि तुम अलहा की खुदा की खोज कर रहे हो, तुम्हारे अंदर वह मालिक है लेकिन हमारे अंदर इतनी इच्छाएं हैं कामनाएं हैं कि हमारा जो मन है इन इच्छाओं और कामनाओं से ही भरा पड़ा है । इसलिए अगर मलिक को हम पाना चाहते हैं तो सब इच्छाओं को एक और कर के उसे कुल मलिक को,एक प्रभु को याद करना होगा वह अल्लाह कहीं बाहर नहीं वह कुल मलिक जिसे हम कई नामो से पुकारते हैं। वह हमारे अंदर ही बैठा है लेकिन वह हमें दिखाई नहीं देता क्योंकि हमारे ऊपर हमारे कर्मों का पर्दा पड़ा हुआ है जैसे-जैसे मन की सफाई करेंगे। मुर्शिद
से नाम लेकर उसकी भजन बंदगी करेंगे जैसे-जैसे पर्दे साफ होंगे मलिक का एहसास होना शुरू हो जाएगा। संगत जी इसी तरह यह डेढ़ घंटे तक बाबा जी ने सत्संग फरमाया और सारी बातें खोल खोल कर समझाएं। कैसे मलिक को अपने अंदर हम मिल सकते हैं उसकी सारी जानकारी दी तो संगत जी जी आज की इस अपडेट में बस इतना ही।
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